मोदी जी ने बिहार के नालंदा में नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर का उद्घाटन किया इस दौरान उन्होंने नालंदा खण्डार का भी भ्रमण किया।

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By Ajeet Kumar Rai

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के नालंदा में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय भारत की शिक्षा और ज्ञान परंपरा का प्रतीक है और इसके पुनर्निर्माण से भारत की सांस्कृतिक धरोहर को नया जीवन मिलेगा। उन्होंने X.com पर लिखा

भारत में शिक्षा का नया दौर: प्रधानमंत्री मोदी की नालंदा यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति आ रही है। उन्होंने बताया कि अब भारत में ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान स्थापित हो रहे हैं, जो वैश्विक मानकों पर खरे उतरते हैं।

मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय की विशेषता बताते हुए कहा, “यह भूमि विश्व बंधुत्व की भावना को नया आयाम दे सकती है। आने वाले 25 साल भारत के युवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से अपील करते हुए उन्होंने कहा, “अपने ज्ञान का उपयोग समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए करें। नालंदा का गौरव भारत का गौरव है, और मुझे विश्वास है कि हमारे युवा आने वाले समय में पूरे विश्व को नेतृत्व देंगे।”

प्रधानमंत्री ने नालंदा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत पर गर्व जताया और कहा कि इस विश्वविद्यालय का पुनर्जन्म हमारे शैक्षिक और सांस्कृतिक धरोहर को पुनः जीवित करने का प्रयास है। उन्होंने इस संस्थान को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

शिक्षा का वैश्विक केंद्र

प्रधानमंत्री ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में 20 से अधिक देशों के छात्र पढ़ते थे, जो शिक्षा की सीमाओं से परे होने का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी को एशिया की सदी कहा जा रहा है, और नालंदा विश्वविद्यालय इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

मित्र देशों का अभिनंदन

पीएम मोदी ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना केवल भारत के अतीत का पुनर्जागरण नहीं है, बल्कि इसमें एशिया के कई देशों की विरासत जुड़ी हुई है। उन्होंने इस कार्यक्रम में उपस्थित मित्र देशों के प्रतिनिधियों का अभिनंदन किया और कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत का प्रतीक है।

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम द्वारा की गई थी। यह विश्वविद्यालय अपने समय का सबसे बड़ा और प्रमुख शिक्षण संस्थान था, जहाँ देश-विदेश से विद्यार्थी और विद्वान शिक्षा ग्रहण करने आते थे। नालंदा में बौद्ध धर्म, वेद, दर्शन, गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा विज्ञान आदि विषयों की उच्चस्तरीय शिक्षा दी जाती थी।

यहां के पुस्तकालय को “धर्मगंज” के नाम से जाना जाता था, जिसमें लाखों की संख्या में पांडुलिपियां थीं। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग और इत्सिंग ने नालंदा विश्वविद्यालय का विस्तृत वर्णन किया है और इसकी समृद्धि और उत्कृष्टता की प्रशंसा की है। 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद यह विश्वविद्यालय ध्वस्त हो गया और लंबे समय तक अज्ञात रहा।

नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार

21वीं शताब्दी में, नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने की पहल की गई। वर्ष 2010 में भारत सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय (पुनरुद्धार) अधिनियम पारित किया, जिससे इस प्राचीन शिक्षण संस्थान का पुनर्निर्माण संभव हुआ।

इसका उद्देश्य नालंदा की प्राचीन शिक्षण परंपराओं को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ संयोजित करना था। वर्तमान नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर बिहार के राजगीर के पास स्थित है, और यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उच्च शिक्षा और शोध के लिए प्रसिद्ध हो रहा है। यहाँ कई देशों के विद्यार्थी और शिक्षक अध्ययन और शोध कार्य कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नालंदा विश्वविद्यालय यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय की यात्रा कर इस ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की है। उनकी यात्रा से नालंदा विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान और मान्यता मिली है।

मोदी जी की यात्रा के प्रमुख बिंदु:

  1. संवाद और संबोधन: प्रधानमंत्री मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों से संवाद किया और उन्हें शिक्षा और शोध के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की पुरानी विरासत और इसकी नई संभावनाओं के बारे में चर्चा की।
  2. परियोजनाओं की घोषणा: मोदी जी ने नालंदा विश्वविद्यालय के विकास के लिए कई नई परियोजनाओं की घोषणा की। उन्होंने विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने, शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
  3. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार में कई देशों का सहयोग रहा है। मोदी जी की यात्रा ने इस सहयोग को और मजबूत किया। उन्होंने विभिन्न देशों के साथ शैक्षिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने की बात कही।
  4. धरोहर का संरक्षण: प्रधानमंत्री ने नालंदा विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह संस्थान भारत की ज्ञान परंपरा का प्रतीक है और इसके संरक्षण से हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजा जा सकेगा।

मोदी जी की यात्रा का प्रभाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नालंदा विश्वविद्यालय यात्रा का गहरा प्रभाव पड़ा है। इससे न केवल विश्वविद्यालय को नई पहचान मिली, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशाओं का भी संकेत मिला।

  1. वैश्विक मान्यता: मोदी जी की यात्रा से नालंदा विश्वविद्यालय को वैश्विक स्तर पर नई पहचान मिली। इससे अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और विद्वानों के आकर्षण में वृद्धि हुई है, जिससे यहाँ की शिक्षा और शोध गतिविधियों को और बल मिला है।
  2. संपूर्ण विकास: प्रधानमंत्री द्वारा घोषित परियोजनाओं से विश्वविद्यालय के संपूर्ण विकास को गति मिली है। इससे शिक्षा, शोध और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में सुधार हुआ है।
  3. नवाचार और अनुसंधान: मोदी जी ने नालंदा विश्वविद्यालय में नवाचार और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। इससे विश्वविद्यालय में नए शोध परियोजनाओं और नवाचार गतिविधियों को बल मिला है।
  4. संस्कृति और धरोहर का संरक्षण: उनकी यात्रा ने नालंदा विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इससे हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में मदद मिली है।
  5. संपर्क और सहयोग: मोदी जी की यात्रा ने नालंदा विश्वविद्यालय को विभिन्न देशों के साथ शैक्षिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने में मदद की है। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग और संवाद की नई संभावनाएं खुली हैं।

निष्कर्ष

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास और वर्तमान दोनों ही प्रेरणादायक हैं। प्राचीन काल में शिक्षा और ज्ञान का प्रमुख केंद्र रहने के बाद अब यह संस्थान पुनः अपनी पुरानी गरिमा और प्रतिष्ठा को प्राप्त कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा ने इस प्रक्रिया को और तेज किया है। उनके प्रयासों से नालंदा विश्वविद्यालय न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को छू रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय का यह पुनरुद्धार भारत की ज्ञान परंपरा को न केवल सहेज रहा है बल्कि उसे नए आयाम भी प्रदान कर रहा है।

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