हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की। यह मुद्दा लंबे समय से बिहार की राजनीति में चर्चा का विषय रहा है। नीतीश कुमार का तर्क है कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से बिहार को आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे।
क्या है विशेष राज्य का दर्जा?
विशेष राज्य का दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है जो भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़े होते हैं। इस दर्जे के तहत उन्हें केंद्रीय करों में अधिक हिस्सेदारी और योजनाओं में विशेष छूट मिलती है। इससे राज्य को बुनियादी ढांचे के विकास और अन्य सामाजिक परियोजनाओं के लिए अधिक वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।
मोदी सरकार का रुख
मोदी सरकार ने इस मांग को ठुकराते हुए कहा कि वर्तमान आर्थिक मापदंडों के अनुसार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। केंद्र सरकार का मानना है कि बिहार को पहले ही कई केंद्रीय योजनाओं के तहत पर्याप्त वित्तीय सहायता मिल रही है। इसके अलावा, सरकार का यह भी कहना है कि सभी राज्यों को समान रूप से विकसित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
असल मुद्दा
विशेष राज्य के दर्जे की मांग के पीछे बिहार की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति है। राज्य में गरीबी, शिक्षा की कमी और बुनियादी ढांचे की अपर्याप्तता जैसी चुनौतियाँ हैं। नीतीश कुमार का कहना है कि विशेष दर्जा मिलने से राज्य में विकास कार्यों को गति मिलेगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
इस मांग का ठुकराया जाना बिहार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। राज्य के राजनीतिक दल इस पर केंद्र सरकार की आलोचना कर रहे हैं और इसे बिहार के विकास में बाधा बता रहे हैं। वहीं, केंद्र सरकार का तर्क है कि सही योजनाओं और उनके प्रभावी क्रियान्वयन से बिहार को विकास के पथ पर आगे बढ़ाया जा सकता है।