बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कई वर्षों से की जा रही है, लेकिन वर्तमान बजट में इसे शामिल नहीं किया गया। बिहार को इस बार के बजट में कई महत्वपूर्ण योजनाओं और परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता मिली है, लेकिन विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला।
बजट में बिहार के लिए प्रमुख आवंटन:
1. इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास:
केंद्र सरकार ने बिहार में सड़कों और पुलों के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसका उद्देश्य यातायात को सुगम बनाना और राज्य के दूरदराज के क्षेत्रों को मुख्य शहरों से जोड़ना है।
2. कृषि और ग्रामीण विकास:
बिहार के कृषि क्षेत्र के विकास के लिए 5,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें किसानों के लिए सिंचाई परियोजनाएं, उन्नत बीज और कृषि उपकरणों पर सब्सिडी शामिल है।
3. स्वास्थ्य सेवा:
राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए 3,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना और मौजूदा अस्पतालों का आधुनिकीकरण शामिल है।
4. शिक्षा:
शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए 4,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसमें स्कूलों के आधुनिकीकरण, डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने और छात्रवृत्ति योजनाओं का विस्तार शामिल है।
विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं?
विशेष राज्य का दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है जो भौगोलिक कठिनाइयों और सीमित संसाधनों के कारण तेजी से विकास नहीं कर पाते। बिहार के लिए यह दर्जा अभी तक नहीं मिला, क्योंकि सरकार का मानना है कि मौजूदा योजनाओं और वित्तीय सहायता से राज्य का विकास किया जा सकता है।
निष्कर्ष
हालांकि, विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से कुछ निराशा हो सकती है, लेकिन सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में वित्तीय सहायता देकर बिहार के विकास की प्रतिबद्धता दिखाई है। आने वाले समय में इन योजनाओं के प्रभाव से राज्य को आर्थिक और सामाजिक लाभ मिलने की उम्मीद है।